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कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' मध्य
प्रदेश राज्य में स्थित मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है। इस अभयारण्य में
दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता।
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अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच
पर्यटकों को अनुमति दी जाती है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।
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कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य
प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
इस अभयारण्य का मूल्यांकन एशिया के सबसे अच्छे उद्यान के रूप
में होता । 'कान्हा अभयारण्य' में घास
के मैदान, साल के पेड़ और बांस के जंगल, वन्यजीवन के लिए मानो स्वर्ग हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ का मुक्त
संचार है, जो अभयारण्य के उद्देश्य को सफल साबित करता है। इस
अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। वन्य जीवों के साथ-साथ इस
अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई
जाती हैं।
वन्य जीवन की सभी आश्चर्यजनक विविधता के साथ 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' बाघ के निवास के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मध्य भारत मे ऊंचाईं पर बसा यह सबसे ख़ूबसूरत स्थान मंडला और बालाघाट ज़िलों में
स्थित है। सन 1935 से आज तक देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक होने के साथ इस स्थान
के वन्य जीवन के संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है, जो वास्तव में
गर्व की बात है। विश्व पर्यटन के नक्शे पर इस राष्ट्रीय उद्यान ने अपनी एक जगह बना
ली है। बाघों के साथ बारसिंगा भी यहाँ का अनमोल रत्न है। किसी समय विलुप्त होने की दहलीज पर खडा
दुर्लभ बारहसिंगा अब कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अपने प्राकृतिक निवास स्थान में
प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।[1]
वनमंडल
इस अभयारण्य के दो वनमंडल हैं-
1.
कोर क्षेत्र
2.
बफ़र क्षेत्र
'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' का यह बाघ अभयारण्य 2051.74
वर्ग कि.मी. पर फैला है, जिसमें 917.43
वर्ग कि.मी. कोर, 1134.31 वर्ग कि.मी. बफ़र
जोन और 110.74 वर्ग कि.मी. उपग्रह मिनीकोर क्षेत्र शामिल
हैं। बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में मानवी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं और
यहाँ बाघ को आजाद माहौल में घूमते हुए देखा जा सकता है।
'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' रेखांश 80
26 10 से 81 4 40 के बीच और अक्षांश 80 1 5 से 81
27 48 के बीच स्थित है।
कोटीगाओ वन्य जीवन अभयारण्य गोवा
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जंगली सूअर,
लंगूर, हिरण, बायसन,
पेंगोलिन और काला चीता देख सकते हैं।
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कोटीगाओ वन्य जीवन
अभयारण्य पणजी से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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कोटीगाओ वन्य जीवन
अभयारण्य लगभग 86.65 वर्ग किलो मीटर में फैला हुआ है।
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यह जंगल अन्य वन्य
जीवन अभयारण्य की तरह घना नहीं है जितने कि अन्य वन्य जीवन अभयारण्य होते हैं।
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इस स्थान पर पर्यटक
जंगली सुअर, लंगूर, हिरण, बायसन, पेंगोलिन और काला चीता देख सकते हैं।
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वन्य जंतुओं को
देखने के लिए पर्यटक पानी के स्रोत के पास बने एक स्तंभ पर बैठ सकते हैं।
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इस वन्य जीवन
अभयारण्य में बेलाझील और एक प्रकृति व्याख्या केन्द्र भी है जिसके वानस्पतिक
और जंतु देखने योग्य हैं।
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