Important constitutional amendment
- प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951:
- इसके तहत कानून की रक्षा के लिये संपत्ति अधिग्रहण आदि की व्यवस्था।
- भमि सुधार तथा न्यायिक समीक्षा से जुड़े अन्य कानूनों को नौंवी अनुसूची में स्थान दिया गया।
- अनुच्छेद 31 में दो उपखंड 31 (क) और 31 (ख) जोड़े गये।
- सातवाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956:
- राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को लागू करने के लिये द्वितीय तथा सातवीं अनुसूची में संशोधन किया गया।
- 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976:
- 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में प्रमुख संशोधनों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- प्रस्तावना:
- इस संशोधन के तहत भारत को परिभाषित करने के लिये ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणतांत्रिक’ शब्द के स्थान पर ‘संप्रभु लोकतांत्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, गणतांत्रिक’ शब्द को जोड़ दिया गया।
- साथ ही प्रस्तावना में ‘’शब्द को राष्ट्र की एकता” शब्द को बदलकर ’शब्द को राष्ट्र की एकता और अखंडता” कर दिया गया।
मौलिक अधिकार और निर्देशक सिद्धांत:
- 42 वें संवैधानिक संशोधन के तहत एक सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया कि इसके तहत राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों पर प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया।
मौलिक कर्तव्य:
- 42 वें संशोधन अधिनियम के तहत संविधान में IV-A नामक एक नया भाग बनाने के लिये इसमें अनुच्छेद 51-A शामिल किया गया, संविधान के भाग IV-A में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का निर्धारण किया गया है।
44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978:
- इस संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 74 (1) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया जिसके अनुसार, राष्ट्रपति को कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिये एक बार लौटाने/वापस भेजने की शक्तियाँ दी गई। परंतु इसके तहत राष्ट्रपति को पुनर्विचार के बाद भेजी जाने वाली सलाह को मानने के लिये बाध्य कर दिया गया।
- इस संशोधन के अनुसार, मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को दी गई लिखित सलाह के आधार पर ही आपातकाल घोषित किया जा सकता है।
- इस संशोधन के तहत ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर इसे एक एक कानूनी अधिकार के रूप में घोषित किया गया है।
संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992
- संविधान में अनुच्छेद 243 A को जोड़कर एक अलग भाग IX जोड़ा गया है और ग्यारहवीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची जोड़ी गई जिसमें पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों एवं कार्यों का उल्लेख किया गया है।
संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992
- यह अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। संविधान के भाग VIII के बाद, अनुच्छेद 243 A में जोड़ के साथ संविधान में एक अलग भाग IXA जोड़ा गया है और शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों एवं कार्यों को शामिल करते हुए 12वीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची को शामिल किया गया है।
- यह अधिनियम नगर पंचायत, नगर परिषद एवं नगर निगम में SC एवं ST को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण और महिलाओं के लिये सीटों का एक तिहाई आरक्षण प्रदान करता है।
संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2017
- वस्तु एवं सेवा कर को अपनाया गया।
संविधान (102वाँ संशोधन) अधिनियम, 2018
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019
- अनुच्छेद 15 की उपधारा (4) एवं (5) में वर्णित वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWSs) के नागरिकों के लिये अधिकतम 10% आरक्षण (अर्थात सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त)।
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